अभी
तक किसी भी स्पेस एजेंसी ने इस तरह का अनुभव नही किया है। किसी भी स्पेस
एजेंसी को नही पता अगर कभी इस स्तिथि से सामना हुआ तो वो क्या करेंगे।
पिछली साल मुझे ISRO सेन्टर घूमने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। वहाँ
अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने हम छात्रों के काफी सारे सवालों का जबाब दिया था।
जैसे चंद्रयान 2 को चंद्रमा पर कैसे और कहाँ उतारा जाएगा, किस तरह स्पेस
शटल की स्तिथि को नियंत्रित किया जाता है आदि। वही उन्होंने स्पेस स्टेशन
के बारे में भी जानकारी दी थी।
वैसे
अंतरिक्ष यात्री स्पेस स्टेशन में लगभग 6 महीने का वक़्त बिताते हैं। किसी
भी मिशन पर जाने से पहले सभी अंतरिक्ष यात्रियों की स्वास्थ्य की पूरी जाँच
की जाती है जिससे इस प्रकार की किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े। फिर
भी किसी मिशन में किसी अंतरिक्ष यात्री की मृत्यु हो जाती है तो दो रास्ते
बचते है।
(अ) अंतरिक्ष यात्री की बॉडी को स्पेस में ही छोड़ दे - लेकिन
इसमें समस्या है कि बॉडी अगर स्पेस में तैरती रहेगी तो उसके किसी कृतिम
उपग्रह से टकराने की संभावना रहती है। दूसरी समस्या है अंतरिक्ष यात्रियों
के परिजन नही चाहेँगे की बॉडी को स्पेस में तैरने के लिए छोड़ दिया जाए।
अगर ये तरीका काम न करे दूसरा तरीका इस्तेमाल करना पड़ेगा।
(ब) बॉडी बैक का इस्तेमाल- बॉडी
बैक एक तरह का एयर टाइट बैग होता है जिसमे बॉडी को पैक कर सकते है। इस तरह
के एक बॉडी बैक को इंटेरस्टालर फ़िल्म में भी देख सकते है। इसमें बॉडी को
रखकर तापमान को शून्य से कम कर देते है। इसका इस्तेमाल कर सकते है अगर पहले
तरीके में दिक्कत आये तो।
छवि स्त्रोत - गूगल
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