Powered by Blogger.

Search This Blog

Blog Archive

PageNavi Results Number

Featured Posts

PageNavi Results No.

Widget Random Post No.

Popular

Wednesday 20 February 2019

अलास्का की कहानी क्या है, रूस ने उसे अमेरिका को क्यों बेचा?

  Dilip Yadav       Wednesday 20 February 2019

आगे बढ़ने से पहले बता दें कि मौजूदा समय में अलास्का अमेरिका का एक महत्वपूर्ण राज्य है. अलास्का नार्थ अमेरिका की सीमा से लगता है. अलास्का की राजधानी जूनो है. क्षेत्रफल के हिसाब से अलास्का को अमेरिका का सबसे बड़ा राज्य भी कहा जाता है, लेकिन अमेरिका का महत्वपूर्ण राज्य होने से पहले अलास्का रुस का हिस्सा था.
जी हां, अलास्का रूस के बार्डर क्षेत्र में आता था. जिसे बाद में रूस के राजनेताओं ने अमेरिका को बेहद मोटी रकम में बेच दिया था. 18वीं शताब्दी की शुरुआत तक अलास्का रूस का अहम हिस्सा था.
30 मार्च 1867 को रूस शासन ने अलास्का को अमेरिका के हाथों बेच दिया, जिसके बाद अधिकारिक रुप से अलास्का अमेरिका का हिस्सा हो गया.
हालांकि कई लोगों ने कहा कि अमेरिका ने अलास्का पर जबरन कब्ज़ा जमा कर रूस से इसे छीन लिया था… लेकिन यह सब कोरी अफ़वाह है.
अलास्का की डील अमेरिका और रूस के बीच अधिकारिक तौर पर हुई थी, जिसकी पुष्टि कई बार रूस का मीडिया भी कर चुका है.
आख़िर क्या है ‘ख़ास’ अलास्का में?
जब भी कोई इंसान किसी चीज़ को ख़रीदता है या उसकी कीमत लगाता है तो उसे पता होता है कि यह चीज़ उसके लिये कितनी कीमती है और भविष्य में कितना फ़ायदा पहुंचायेगी.
बेहद ठंडी अलास्का की ज़मीन पर भी वह सब था जिसकी ज़रुरत आज हर इंसान को है. जब अलास्का रूस का अंग था तो उस समय यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का केंद्र था.
जानकर हैरानी होगी कि मौजूदा समय में भी अलास्का में सबसे बेहतरीन चाय और कॉफी की खेती होती है.
यहां की पहाड़ियों में व्यापारियों ने चीनी,कपड़े, चाय और यहां तक कि बर्फ का कारोबार किया.
रूस की अन्य जगहों से आकर लोग यहां की पहाड़ियों पर बस गये और कुदरती चीजों को बेचकर व्यापार करने लगे. जब रूस के बड़े कारोबारियों को अलास्का की पहाड़ियों पर महंगी चीजें उगाने का पता चला तो उन्होंने वहां पर कब्ज़ा जमाना शुरु कर दिया.
बड़ी कंपनियों के मालिकों ने अलास्का की खदानों और खनिजों पर नियंत्रित करना शुरू कर दिया.
इन लोगों ने वहां के मज़दूरों से काम लेकर पहाड़ी से निकलने वाली चीजें अपने गोदामों में भरना शुरु कर दिया, जिसके बाद वह यह चीजें बहुत ऊंचे दामों पर अन्य देशों को बेचने लगे.
टैक्स वसूल कर रूस ने कमाया मोटा पैसा!
अगर आप को डिस्कवरी चैनल या अन्य एडवेंचर चैनल देखने का शौक है तो आपको अलास्का की कीमत का अंदाज़ा हो जायेगा.
अलास्का की पहाड़ियों पर उगने वाली हर चीज़ देशभर में करोड़ों में बिकती थी. यहां की पहाड़ियों पर जड़ी बूटियों के अलावा केसर और सिल्क काफी संख्या में निकलता है.
यह ऊंचे दामों पर अंतराष्ट्रीय बाज़ारों में बिकता है.
18वीं सदी में रूस शासन को जब पता चला कि बड़ी-बड़ी कंपनियां इन सब चीजों को इकठ्ठा कर महंगे दामों पर बेच रही हैं तो रूस शासन ने कंपनियों से टैक्स वसूलना शुरू कर दिया.
टैक्स के रूप में रूस को काफी पैसा मिलने लगा. इसका श्रेय अलेक्जेंडर बारानोव को दिया जाता है.
रसियन पिज़ारो के नाम से मशहूर प्रतिभाशाली व्यापारी अलेक्जेंडर बारानोव ने अलास्का में कई कंपनियों और स्कूलों की स्थापना की.
अलेक्जेंडर बारानोव के नेतृत्व में रसियन- अमेरिका कंपनी का मुनाफा काफी ऊपर पहुंच गया. हालांकि बाद में अपनी बढ़ती उम्र के कारण अलेक्जेंडर बारानोव ने ड्युटी से इस्तीफ़ा दे दिया.
अलेक्जेंडर बारानोव के बाद रूसी सेना ने जमाया कब्ज़ा
अलेक्जेंडर के समय-काल में अलास्का की पहाड़ियां काफी शांत थीं. कंपनियां मज़दूरों को उचित मेहनताना देकर उनसे सामान खरीदती और आगे ऊंचे दामों पर बेच देती.
अलेक्जेंडर बारानोव के रिज़ाइन के बाद अलास्का की बागडोर रसियन नेवी में कैप्टन के पद पर तैनात हैगमिस्टर के हाथ में आ गई.
हैगमिस्टर की कम समय में अलास्का की पहाड़ियों से बड़ा मुनाफा करने की रणनीति अलास्का के लिए काफी नुकसानदेह साबित हुई.
हैगमिस्टर ने कंपनियों से टैक्स के रूप में अधिक रकम वसूलना शुरु कर दी, जिसका असर यह हुआ कंपनियां पहाड़ों से सामान लाने वाले मज़दूरों से आधी कीमत पर सामान ख़रीदने लगीं.
जब मज़दूरों को अपने मेहनताने के रूप में कम रूपये मिलने लगे तो व्यापार में मंदी आने लगी. आने वाले कई सालों में अलास्का में स्थित कई कंपनियां घाटे में पहुंच गई.
इसके बाद सेना के लोग अलास्का के स्थानीय लोगों पर अत्याचार करने लगे, जिससे काफी लोग वहां से घर छोड़कर जाने लगे.
कई देशों ने रूस के खिलाफ खोल दिया मोर्चा!
रूस के लिए कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा था. सेना के अड़ियल रवैये के कारण अलास्का के पहाड़ों से हर साल टैक्स के रूप में रूस शासन की तिजोरी में आने वाली दौलत कम हो गई थी.
तो वहीं क्रीमिया वॉर शुरु होने के बाद रूस बैकफुट पर आ गया था. इस युद्ध में ब्रिटेन, फ्रांस और तुर्की रूस के खिलाफ खड़े हो गये.
इन देशों का कहना था कि अलास्का की पहाड़ी पर मौजूद सेना को रूस मदद करना बंद कर दे.
इसकी सबसे बड़ी वजह थी कि अलास्का की सीमा कई देशों से लगती थी, जिससे अन्य देशों को अपनी सुरक्षा का ख़तरा था.
अलास्का में बहने वाले समुद्र में रूस शासन की सेना ने कई पानी के जहाज़ भी उतार रखे थे. इन देशों ने रूस से समुद्री रास्तों को नियंत्रित करने की बात भी कही.
इधर ब्रिटेन ने भी अलास्का के समुद्री रास्ता जो अलास्का से ब्रिटेन आता था उसको बंद करने की चेतावनी दे दी थी. वहीं अमेरिका और रूस के रिश्ते पहले से ही मधुर नहीं थे.
रूस शासन के पास अलास्का की समस्या के समाधान को खोजने के लिए कोई हल नहीं बचा था, सिवाये इसको बेचने के.
क्योंकि अलास्का का अधिकांश हिस्सा यूएस से लगता था. इसलिए रूस शासन ने इसे अमेरिका को बेचना ही उचित समझा.
7.2 मिलियन में रुस ने बेच दिया अलास्का
30 मार्च 1867 रूस शासन के मंत्री डौआर्ड डी स्टोकैक ने अमेरिका जाकर यूएस के सेकेट्री विलियम एच सेवर्ड से अलास्का को बेचने को लेकर एक औपचारिक मुलाक़ात की.
हालांकि अलास्का को बेचने से पहले अलास्का में रहने वाले रूसी लोगों ने इस डील का काफी विरोध किया.
लोगों का कहना था कि रूस शासन को इस ज़मीन को अमेरिका को नहीं बेचना चाहिये.
लोगों ने रूस सरकार का काफी विरोध किया. लोगों ने कहा कि आख़िर रूस सरकार उस ज़मीन को दूसरे देश को कैसे बेच सकती है. उसे उन लोगों ने इतनी मेहनत से कई साल तक सींचा है और उसे रहने योग्य बनाया है.
हालांकि विरोध का दोनों देशों पर कोई असर नहीं पड़ा और 30 मार्च 1867 को रूस ने अलास्का की सुंदर पहाड़ियों को 7.2 मिलियन में अमेरिका को बेच दिया.
डील के बाद अलास्का की ज़़मीन पर सरहद बना दी गई.
अमेरिका की सरहद के भीतर आने वाले कई लोगों ने अमेरिका की नागरिकता लेने से इंकार भी किया.
हालांकि डील होने के कई साल बाद रूस की मीडिया ने अलास्का को अमेरिका को बेचना रूस की सबसे बड़ी भूलबताया.
खैर जो भी हो, ज़मीन का हिस्सा दूसरे देश को बेचने का यह किस्सा दुनियाभर में आज भी मशहूर है.
धन्यवाद”
logoblog

Thanks for reading अलास्का की कहानी क्या है, रूस ने उसे अमेरिका को क्यों बेचा?

Previous
« Prev Post

No comments:

Post a Comment