पहली और सबसे अहम बात $1 का ₹1
के बराबर होना या ₹1 का $1 के बराबर होना यह नहीं दर्शाता की देश की
आर्थिक व्यवस्था बहुत मजबूत है | जिस दिन ₹1 = $1 के बराबर हो गया उस दिन
भारत को मुनाफे तो बहुत कम होंगे लेकिन जो नुकसान होगा वह झेलने लायक नहीं
होगा| अर्थशास्त्री बताते हैं कि अगर ऐसा मात्र 1 दिन के भी लिए हुआ तो
नुकसान कई सालों तक झेलना पड़ सकता है आइए जानते हैं ऐसा क्यों
विवरण
जानने से पहले मैं आपको जापान का उदाहरण देना चाहूंगा 1986 में जापान की
मुद्रा बहुत मजबूत हो गई थी जिसका नुकसान उन्हें इस कदर हुआ कि सन 2018 में
भी भुगतना पड़ रहा है| सन 1986 में रातों-रात अमेरिकी डॉलर 280 येन से गिर
कर 140 येन पर पहुंच गया. और इतने बड़े बदलाव से जापान की अर्थव्यवस्था पर
इतना बड़ा धक्का लगा जिसका नुकसान आजतक यह देश सह रहा है
रुपया कमजोर या मजबूत क्यों होता है?
रुपये की कीमत पूरी तरह इसकी मांग एवं आपूर्ति पर निर्भर करती है. इस पर आयात एवं निर्यात का भी असर पड़ता है.
1 रुपया 1 डॉलर के बराबर
जिस
दिन ₹1 $1 के बराबर हो गया उस दिन इलेक्ट्रॉनिक सामान सॉफ्टवेयर वह सभी
सामान जो भारत दूसरे देशों से खरीदता है वह सभी बहुत सस्ते हो जाएंगे
क्योंकि ऐसे सर्विस समान को खरीदने के लिए भारत को 70 गुना नहीं चुकाना
पड़ेगा
Branded चीजें भी हम सस्ती दामों में खरीद सकते हैं जैसे
की iPhone जो हमारे देश में सबसे ज्यादा दामों में बिकती है वो हम सिर्फ
600 रूपए में खरीद सकेंगे. क्यूंकि US में इसका दाम है 600 dollar और अगर 1 rupee=1 dollar हो गया तो हम सिर्फ 600 रूपए में iPhone ले सकेंगे.
1 Rupee = 1 Dollar होगा तो क्या नुकसान होगा?
जनसंख्या और भूखमरी बढ़ जाएगी
जिस
दिन $1 एक रुपए के बराबर हो गया उसी दिन विदेशी निवेश विदेशों में भारतीय
मजदूर काम धाम छोड़कर भारत लौट आएंगे देखते ही देखते भारत की आबादी और
बेरोजगारी बढ़ती चली जाएगी इसके साथ ही कई और देशों के नागरिक भारत में चले
आएंगे जनसंख्या दुगनी से 4 * 4 * से 8 * होती चली जाएगी| साफ शब्दों में
कहा जाए तो पैसा तो होगा मगर रहने के लिए जमीन नहीं खाने के लिए अनाज नहीं
होगा
अगर 1 rupee = 1 US dollar
हो जाता है तो वोही चीजें जो हम बाहार देश को बेचते हैं वो उनके लिए
मेहेंगा साबित होगा. तो कोई भी बाहार का देश हमारे देश से सामान ज्यादा
पैसे दे कर क्यूँ खरीदेगा? वो वोही चीजें दुसरे देश से लेना चाहेगा जहाँ वो
चीजें हमारे देश से कम दामों में मिल सकती है. इस कारण से हमारे देश में
exporting होना बंद हो जायेगा.
बेरोजगारी पर जाएगी
जितने
भी कॉल सेंटर्स आईटी कंपनीज यूएसए यूके केनेडा के दम पर चल रही हैं वह सब
बंद हो जाएंगी क्योंकि ऐसी कंपनियां भारत से कम दामों में काम करवाती हैं
और भारत की 70% से ज्यादा आईटी कंपनी के नाम पर कॉल सेंटर्स हैं तो हिसाब
लगाया जा सकता है बेरोजगारी किस हद तक बढ़ेगी और आईटी सर्विसेज के माध्यम
से विदेशों से आने वाला पैसा एकदम बंद हो जाएगा और इससे भी जरूरी बात यह
सारा काम पाकिस्तान संभाल लेगी
Tourism में Reduction होना :-
अगर Dollar की value ज्यादा हो जाएगी तब tourist भी याना आना कम कर देंगे. क्यूंकि जहाँ पहले उन्हें India सस्ता लगता था लेकिन अब costly लगने लगेगी.
अगर Dollar की value ज्यादा हो जाएगी तब tourist भी याना आना कम कर देंगे. क्यूंकि जहाँ पहले उन्हें India सस्ता लगता था लेकिन अब costly लगने लगेगी.
Foreign investment
ज्यादातर हमारे देश के IT और service sector में की जाती है और हमारे देश
की 60% GDP का योगदान इन्ही sector से होती है और हमारे देश की आबादी के 27
% लोगों को employment भी इन्ही sector से मिलती है, जो की पूरी तरह से
बंद हो जाएगी क्यूंकि foreign country हमारे country में invest करना बंद
कर देंगे
TAXES में कमी होगी
टैक्स
पर बुरा असर पड़ने वाला है. ऐसा इसलिए क्यूंकि यदि कोई production नहीं
होगा तब tax भी नहीं आएगा जिससे government के पास पैसा भी नहीं आएगा
यही
कारण है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने कुछ मान्यताएँ बना रखी हैं जिनके कारण
ना रुपये को ज्यादा गिरने दिया जात है और ना ही ज्यादा बढ़ने क्योंकि इन
दोनों ही विषयों में कही ना कही नुकसान भारत को भी झेलना पड सकता है.
वैसे RBI
इतनी ज्यादा चिंतित नहीं होती है dollar और rupees को लेकर इसकी ऊपर निचे
होना जायज सी बात है. वैसे बहुत ज्यादा fluctuation अच्छी बात नहीं किसी भी
economy के लिए.
इसी तरह की गंभीर
सामाजिक व राजनीतिक मुद्दों की चर्चा का हिस्सा बनने के लिए मुझे फॉलो करना
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