असल
मे जिन तारों को हम रात में देखते हैं, वो एक दूसरे से करोड़ों मील दूर
होते हैं। हम तारों द्वारा उत्सर्जित प्रकाश को ही देख पाते हैं।
ये
प्रश्न बहुत अच्छा हैं, कि अंतरिक्ष मे अरबों तारों होने पर भी यह कला
क्यों दिखाई देता है? इन तारो के बीच बहुत सी जगह खाली होती हैं, या यह भी
हो सकता है, कि इन तारों के बीच बहुत छोटे-छोटे खगोलीय पिण्ड हो, जिन्हें
पृथ्वी से नग्न आंखों से देखना असंभव है।
हमे
किसी वस्तु को देखने के लिए यह जानना बहुत जरूरी हैं कि वह अपने ऊपर पड़ने
वाले किस रंग के प्रकाश को परावर्तित करता है। अब मान लेते हैं, कि इन
तारों से उत्सर्जित प्रकाश पृथ्वी तक हमारीआंखों में पहुंच रहा है,
अब
पहली स्थिति में जबकि इन तारों के मध्य कोई भी खगोलीय पिण्ड विद्यमान नही
है, तो सिर्फ तारों से आता हुआ प्रकाश ही हमे दिखलाई पड़ेगा और शेष अंतरिक्ष
कला दिखाई देगा।
अब दूसरी स्थिति में
जबकि इन तारों के मध्य कोई खगोलीय पिण्ड विद्यमान हो, तो भी अंतरिक्ष हमे
काला ही दिखाई पड़ता है, क्योंकि ये खगोलीय पिण्ड तारों की अपेक्षा आकर में
बहुत छोटे होते है तथा पृथ्वी से ये अरबों-खरबो प्रकाश वर्ष की दूरी पर
होते है, जिस कारण इनके द्वारा परावर्तित प्रकाश हमारी पृथ्वी तक नही पहुंच
पाता और अंतरिक्ष हमे कला दिखाई पड़ता है।
आप इसके लिए एक छोटा सा प्रयोग भी कर सकते है।
ज्यादा
कुछ नही करना है। बस दो तीन प्रकाश उत्सर्जित करने वाले यंत्र ले लीजिये,
और रात के समय अंधेरा होने पर उन यंत्रो को अपने से बहुत दूर कुछ दूरी पर(
ध्यान रखिये आपको प्रकाश यंत्रो के बीच भी कुछ दूरी रखनी है) रख दीजिये।
अब
आप अवलोकन करने पर पाएंगे कि, सिर्फ उन प्रकाश यंत्रो से आता हुआ प्रकाश
ही हमे दिखाई देता। और आस पास का दृश्य काला दिखाई देता है।
उम्मीद है, आपको अपना जवाब मिल गया होगा।
धन्यबाद।
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