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Wednesday 27 February 2019

पोस्टमार्टम रात को क्यों नहीं किया जाता?

  Dilip Yadav       Wednesday 27 February 2019
मैं इस विषय का विशेषज्ञ नहीं हूँ, इसलिए आपसे पत्रिका में छपी रिपोर्ट, जो श्रुति अग्रवाल ने लिखी हैं, वो आपसे शेयर करता हूँ)
ट्यूबलाइट, सीएफएल, एलईडी की कृत्रिम रोशनी में चोट का रंग लाल की बजाए बैंगनी दिखाई देता है। फोरेंसिक साइंस में बैंगनी चोट होने का उल्लेख ही नहीं है।
अपनों की मौत के बाद गमजदा परिवारों को राहत देने के लिए रात में भी पोस्टमॉर्टम (पीएम) करने की मांग करते हुए विधानसभा में प्रश्न उठा। फोरेंसिक विभाग के डॉक्टरों ने इस पर कई तर्क दिए, जिनमें कहा है कि कृत्रिम रोशनी में चोट का निशान बैंगनी दिखता है, इसलिए रात में पीएम नहीं किया जाता।
सांवेर विधायक राजेश सोनकर ने विधानसभा में तारांकित प्रश्न क्रमांक 7205 में पूछा था कि प्रदेश में पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया शाम 5 बजे बाद नहीं करने के पीछे क्या तर्क हैं? सरकार पीएम का समय 5 से बढ़ाकर रात 8 तक करने का विचार कर रही है, क्योंकि देर होने पर दूरस्थ गांव से आने वाले लोगों को दु:ख की घड़ी में कष्ट उठाना पड़ता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा था। सरकारी अस्पतालों में पीएम करने वाले फोरेंसिक विभाग के डॉक्टरों ने शाम 5 बजे तक ही पीएम करने की पीछे कई तर्क देते हुए समय बढ़ाने की जरूरत को नकारा है।
 पीएम मेडिकोलीगल कार्य होकर न्यायालयीन प्रक्रिया का प्रमुख हिस्सा है। पीएम रिपोर्ट में शव पर पाई गई चोटों का रंग वर्णित करना होता है। इससे चोट की अवधि निर्धारित की जाती है। ट्यूबलाइट, सीएफएल, एलईडी की कृत्रिम रोशनी में चोट का रंग लाल की बजाए बैंगनी दिखाई देता है। फोरेंसिक साइंस में बैंगनी चोट होने का उल्लेख ही नहीं है। कई धर्मों में रात को अंत्येष्टि नहीं होती, अत: अवधि बढ़ाने का औचित्य प्रतीत नहीं होता। पीएम करने के लिए फिलहाल फोरेंसिक विभाग के पास पर्याप्त स्टॉफ भी नहीं है।
चुनौती दी जा सकती है प्राकृतिक व कृत्रिम रोशनी में चोट के रंग अलग दिखने से पीएम रिपोर्ट को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। कोर्ट में मान्य जेसी मोदी की किताब जुरिस्प्रूडेंस टॉक्सिकोलॉजी में इसका उल्लेख है। फोरेंसिक साइंस की पढ़ाई में भी यह बात सिखाई जाती है।
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