अश्वगंधा (Ashwagandha ) एक प्रकार का पौधा होता है जिसके द्वारा कई आयुर्वेदिक दवाइयां
बनाई जाती है और इसका उपयोग हजारों सालों से होता आ रहा है। अश्वगंधा को असगंध या
वाजीगंधा भी कहा जाता है। अश्वगंध के पत्ते और जड़ो से अश्व (horse) के मूत्र का smell आता है
इसी वजह से इसे अश्वगंध कहा जाता है ।
बनाई जाती है और इसका उपयोग हजारों सालों से होता आ रहा है। अश्वगंधा को असगंध या
वाजीगंधा भी कहा जाता है। अश्वगंध के पत्ते और जड़ो से अश्व (horse) के मूत्र का smell आता है
इसी वजह से इसे अश्वगंध कहा जाता है ।

पौधे से इसका चूर्ण और capsule भी बनाया जाता है जिसके कई गुण होते है जैसे की body में
खून की मात्रा को बढ़ाना, वजन को घटाना, लकवा से बचाना आदि ।

एक बलवर्धक रसायन मानी गयी है। इसके गुणों की चिर पुरातन समय से लेकर अब तक सभी
विद्वानो ने भरपूर सराहना की है। इसे पुरातन काल से ही आयुर्वेदज्ञों ने वीर्यवर्धक, शरीर में ओज
और कांति लाने वाले, परम पौष्टिक व् सर्वांग शक्ति देने वाली, क्षय रोगनाशक, रोग प्रतिरोधक
शक्ति बढ़ने वाली एवं वृद्धावस्था को लम्बे समय तक दूर रखने वाली सर्वोत्तम वनौषधि माना है।

वायु एवं कफ के विकारों को नाश करने वाली अर्थात खांसी, श्वांस, खुजली, व्रण, आमवात
आदि नाशक है। इसे वीर्य व् पौरुष सामर्थ्य की वृद्धि करने, शरीर पर मांस चढाने, स्तनों में
दूध की वृद्धि करने, बच्चों को मोटा व् चुस्त बनाने तथा गर्भधारण के निमित व्यापक रूप से
प्रयोग किया जाता है।

महर्षि चरक ने अश्वगंधा को उत्कृष्ट बल्य माना है एवं समस्त प्रकार के जीर्ण रोगों से ग्रस्त रोगियों
तथा क्षय रोग आदि से पीड़ित रोगियों के लिए उपयुक्त बताया है।

यदि अश्वगंधा 3 से 6 ग्राम की मात्रा में चूर्ण एक माह तक दूध, घी, तेल या ताज़ा पानी के साथ
बच्चों को सेवन करा दिया जाए तो जिस प्रकार वर्षा के पश्चात वनस्पतियों की पुष्टि होती है उसी
प्रकार से बच्चों का शरीर पुष्ट हो जाता है। अगर वृद्ध भी शरद ऋतू में इसका सेवन एक महीने
तक कर लें तो वो भी पुनः जवानी का अनुभव करते हैं।

वास्तव में आयुर्वेद के विद्वान पुष्टि व् बलवर्धक के लिए अश्वगंधा से श्रेष्ठ किसी अन्य औषधि को
नहीं मानते। क्षय, शोष आदि रोगों में तो यह लाभकारी है ही, इसके साथ ये बलवर्धन रसायन एवं
अति शुक्रल भी है।

ब्लड प्रेशर सही रखें और डायबटीज , कोलेस्ट्रॉल कम करें: यह जड़ी बूटी शरीर में रक्तचाप
को बिलकुल सही रखती है। इसे खाने से तनाव भी कम होता है। इस औषधि में डायबटीज को कम
करने और कोलेस्ट्रॉल को घटाने की क्षमता होती है।

गठिया सही करें और पाचन क्रिया दुरुस्त करें :अश्वगंधा खाने से गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
अश्वगंधा में पेट को साफ करने का गुण होता है जिससे पाचन क्रिया स्वत: दुरुस्त हो जाती है।

अनिद्रा और लयूकोरिया:अगर किसी को नींद नहीं आती है तो अश्वगंधा का सेवन करने से
यह समस्या दूर हो जाती है। जिन महिलाओं को योनि से हमेशा सफेद चिपचिपा पदार्थ
निकलता रहता है अगर वह अश्वगंधा का सेवन करें, तो उन्हे बहुत आराम मिलेगा।

कद लम्बा करने में फायदेमंद: लगभग 40 से 45 दिनों तक 1 tsp अश्वगंध के चूर्ण को 1 glass
दूध में mix कर के उसमे थोड़ा सा गुड़ या चीनी भी मिला कर पीने से इंसान का कद बढ़ता है।

अश्वगंधा का सेवन करने से प्रजनन में इजाफा होता है। इससे स्पर्म काउंट बढ़ता है और वीर्य भी
अच्छी मात्रा में बनता है। अश्वगंधा, शरीर को जोश देता है जिससे पूरे शरीर में आलस्य नहीं रहता है
और सेक्स करते समय थकान भी नहीं आती है।

जिन लोगों को सेक्स के दौरान थकान होने लगती है, उन्हें अश्वगंधा के सेवन से काफी लाभ
मिलता है। अश्वगंधा में जवानी को बरकरार रखने की काफी शक्ति होती है। यह शरीर की प्रतिरोधक
क्षमता को बढ़ाती है।

अश्वगंधा का सेवन: अश्वगंधा को आप 2 से 5 ग्राम तक रोजाना खा सकते हैं. इसके लिए आप
100 ग्राम अश्वगंधा को 100 ग्राम मिश्री में मिला कर रख लीजिये, इसक एक चम्मच रात को सोते
समय दूध के साथ सेवन करें.
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