कुछ
साल पहले की बात है, मैं 2 रात से नही सोया था। एक रात सफर में दूसरी रात
इलाहाबाद (अब प्रयागराज) मेरे साथ पॉकेटमारी हुई थी तो प्राथमिकी आदि दर्ज
कराने चोर खोजने में (जिस बारे में कभी और लिखूंगा)
तो
मैं जिंदगी के सबसे बुरे दिन को जी रहा था, बिना टिकट मैं पुरुषोत्तम
एक्सप्रेस के द्वितीय श्रेणी में दाखिल हो गया। बिना किसी को देखे एक सीट
पे जम गया और मैं सोने लगा।
टीसी साब जल्दी ही आये मुझे उठाया और टिकट का पूछा , मैंने बोला मेरे पास पैसे नही है, और टिकट भी नही है।
मैं तनाव में था, और टीसी साब कड़क उन्होंने बोला- जवानी का रुतवा मत झाड़ फाइन निकाल।
कसम से उसी दिन पता चला था कि मैं जवान हूं, वरना लोग मुझे बच्चे में ही गिनती करते थे।
मैं
हर पॉकेट में खोजा कोई पैसा नही था क्योंकि सारे पैसे पर्स में होते थे।
मैं बस आखिरी उम्मीद अपने जूता के सोल के पास देखा तो, 500 रूपये थे( यंहा
मैं रखता था, क्योंकि कंही पढ़ा था)
500 रुपिया टीसी साब को दिया और तब एक लड़की जो मेरे आगे बैठी थी वो एक कागज निकाल कर दी और बोली इसपे लिखवा लो वरना फिर फाइन देने होंगे।
मैं आश्चर्य में था, इतना जल्दी वो कागज निकाली और टीसी को दे दी, जैसे मेरे साथ ही सफर कर रही हो।
तब टिकट बना और मैं फिर आऊँघना ( बैठ कर सोना शुरू किया)
सोते सोते मेरे सर खिड़की के लोहे पे टकरा गया, और मैं जाग गया, वो लड़की अपने छोटे बैग जिसमे लिपस्टिक आदि रखती है, उसमे से एक ‘कोपिको’ निकाली और बोली इसको खाइए नींद नही आयेगी।
सफर , 7 घन्टे का लम्बा था अभी बक्त हो रहा था सुबह के 10 बजे ।
मैं मुँह भी नही धोया था।
उस दिन मैं सबसे अजीब दिख रहा था, घबराया तो नही लेकिन गुस्सा से भरा और जिसे किसी की परवाह न हो वैसा हाल था।
फिर कोपिको लिया और मैं उस लड़की के तरफ ध्यान किया तो मुझे पता चला कि..
लड़की
खूबसूरत है, लंबे बाल, बड़ी बड़ी आँखे, टाइट जीन्स (ये ज्यादा ही टाइट था
लेकिन अब उसकी पसन्द थी) और टॉप में थी, मेकअप के अलावा भी लड़की के तारीफ
में कोई अकेला आशिक रूमानी कविता या चंद लाइन तो लिख ही सकता था।
फिर मैंने उसके फ़ोन की बातों पे गौर किया तो पता चला कि ये अपने जीजा जी के पास जा रही है।
इसके पास 2 बड़े 1 छोटे बैग थे जो उसकी जैसी पांच लड़कियां भी नही उठा सकती थी इतना भारी था।
अब
वो बार बार मेरे से बात करने के लिये कुछ बात छेड़ देती थी जिसका मुझे जवाब
देना ही होता था, जैसे - चॉकलेट कैसी थी अब नींद खुल गयी न?
मैं मुस्कुराया और बोला ‘ हा खुल गया मीठा था चॉकलेट’ फिर मीठा को सुधारते हुये बोला अच्छा था’
(इतना मैं कोई साक्षात्कार में भी नही हकलाता हूं ये बस मेरे पास कुछ नही है सोच से आत्मविश्वास की कमी के कारण हो रहा था)
फिर वो मुस्कराई और बोली आपके साथ बहुत बुरा हुआ,
अब मैं और दयनीय महसूस करने लगा था।
‘ आप कंहा जाएँगे? ख़ूबसूरत लड़की ने पूछा
‘गया’ मैंने बोला
अब
शिष्टाचार तो यही कहता है कि मैं उससे पुछु की वो कंहा जाएगी? लेकिन मैं
पता नही किस हालत में था कि पूछने का कोई जहमत नही उठाया जवाब देके बस अपने
मे खो गया।
फिर फटाक से बोली, ‘मैं तो कोडरमा जा रही हूं’
मैंने बोला ‘गया’ के बाद ट्रेन वही रुकेगी।
फिर वो सवाल पर सवाल करती गयी, मैं बस छोटा छोटा जवाब देता गया।
बात ही बात में मैं सो गया ।
लोकल लोगों की भीड़ आयी तो बोला भाई साब आप सो रहे हो, थोड़ा सीधा हो जाओ 1–2 घन्टे की तो बात है।
मैं आंख मलते चुप चाप उठा और आउंघने लगा क्योंकि नींद तेज आ रही थी मुझे।
ये
देख कर लड़की बोली यंहा आके सो जाइये आप, मैं उसके सीट पे गया और सोया नही
लेकिन रिलैक्स हो गया ( क्योंकि लड़की के बगल में लोकल लोग नही बैठ रहे थे
एक तो खूबसूरत दूसरी अमीर और उनलोगों को लगा रिजर्वेशन होगी इसकी )
कुछ ही पलों की झपकी में ‘डेहरी ऑन शॉन’ नाम का जगह आया तो लड़की ने मुझे उठाया और बोली ‘गया’ आने बाली है उठिए।
मैं जगा तो देखा अभी अगली स्टेशन तक जाना है, तो मैं जाग कर बैठ गया।
वो लड़की बोली मुझे कोडरमा जाना है कितना दूर और है, मैंने बोला 100 km दूर है अभी आराम से बैठिए अभी।
फिर बोली आप अब उतर जाएंगे ?
‘हा’ मैंने सर हिलाया
वो बोली कि मेरे पास भारी समान है, उसको गेट तक पहुंचा दीजिये प्लीज,
इसी बीच एक बुजुर्ग आदमी ने बोला ‘बेटा अभी तो बहुत दूर है, मैं हेल्प कर दूंगा मुझे भी कोडरमा ही जाना है’
इसपे वो लड़की बोली, नही अंकल ये मेरे साथ हैं खुद गया में उत्तर रहे तो समान यही वंहा कर देंगे’
ये
सुनके मुझे अजीब सा लगा, ये अपना साथ का क्यों बना ली, कंही ये कोई चाल तो
नही कर रही है ? मैं डर भी गया था, लेकिन मेरे साथ जितना बुरा हुआ उससे
बुरा क्या होता।
साथ ही साथ मुझे लगा कि ये मेरे से बात करना चाहती है या मुझे कुछ कहना चाहती है।
मैं राजी हुआ और उसके समान गेट तक रख कर दोनो समान के बगल बगल खड़ा हो गया।
हमेशा के तरह वही, बात की शुरुआत करते हुये बोली ‘ आप कितना ज्यादा सोते हैं’
बहुत सोये आप मेरा चॉकलेट भी आपको जगा नही सका और चाय कॉफ़ी तो ट्रैन में बिकती ही नही है ।
मैंने बोला ‘हां’ ( और कुछ नही बस हां)
‘आपके जूते में पैसे नही होते तब आप जेल में होते’ उसने आश्चर्य करके जूते के तरफ देखते हुये बोली।
रातभर की भागदौड़ से मेरे जूते फट चुके थे , मैं जूते को लगभग छुपाते हुये बोला बिना टिकट के सफर करने बाला कोई जेल नही जाता है।
इन्ही ढेर सारी बातों के बीच लड़की फोन का बार बार आना बैकग्राउंड म्यूजिक की तरह लग रहा था।
मैंने हिम्मत करके पहली बात बोली ‘ आपके जीजा जी परेशान हो रहें है फ़ोन उठाओ’
ये सुनके वो हसने लगी और बोली, ‘आपको कैसे पता आप हमारी बातें सुन रहे थे क्या?
मैं जीजू से खूब लड़ूंगी फ़ोन कर रहे लेकिन लेने नही आये मुझे ।उनको स्टेशन पे वेट करवाउंगी। फ़ोन भी नही उठाना मुझे।
मुझे वेटा हुआ है, मैं उसी को देखने जा रही हूं उसमे उसी का समान है।
मैंने कहा फ़ोन पे खैरियत तो बोल दीजिये तब फ़ोन उठायी और बोली स्टेशन आके कॉल करूँगी रखिए फ़ोन (5sec में बात खत्म)।
तब
तक मैं भी खुल चुका था, बात करने में थोड़ा आत्मविश्वास आ गया था क्योंकि
मुझे पता था कि मैं जिस भी हालात में भी हूं ये मुझे पसन्द करती है।
मैंने बोला - आपको 2 घन्टे गेट पे खड़ा रहना होगा आपको हड़बड़ा कर यंहा नही आना चाहिये था?
लड़की
बोली- कोई बात नही बैठ कर बोर हो गयी मैं खड़ी रहूंगी वैसे भी वंहा लोग घूर
रहे थे मुझे, अंकल तो मुझमें अपनी बहू ही ढूंढ रहे थे ऐसा लग रहा था।
इस बात पर मैं भी जोड़ से हसा और वो भी हसी।
अब तय हो गया था कि वो थोड़ी डरी सी थी और मेरे से बात करने के लिये भीड़ से दूर गेट पे जंहा कोई न हो आना चाहती थी।
मैं मजाक के मूड पिछली बातों को दोहराते हुये बोला ‘आपको बेटा हुआ’ ?
वो मेरे मजाक को समझी और मेरे उम्मीद पे खड़ी उतरी और शर्माते हुये बोली ‘मेरे बहन का बेटा हुआ तो मेरा भी वेटा ही है ना’
अब मेरा उतरने का जगह यानी ‘गया’ आने ही बाला था,
वो बोली गया में ही रहना है या कंही और जाइयेगा , मैंने बोला यंहा से 100 km दूर जाना है।
वो
डरते हुये बोली ‘ओ मय गॉड’ तो अब आगे कैसे जाओगे आपके पास तो पैसे भी नही
हैं रुकिए मैं देती हूं आपको वो अपना छोटे से हैंडबैग मेसे 500 निकाल कर
मुझे देने लगी।
मैंने कहा मेरे दूसरे जूते में 500 रूपये होंगे , वो बोली दिखाइये झूठ बोल रहे हैं आप।
अब मैं मुस्कुराने के अलावा कुछ नही कर सकता था, और मैंने विनम्रता से पैसे लेने से मना कर दिया।
तब उसने मुझे अपना फ़ोन दिया और बोला ‘ पापा को फ़ोन कर लीजिये लेने आएंगे आपको’
मैंने
फ़ोन लिया और एक नंबर डायल किया जो मेरे चोरी हुई फ़ोन का था( जो रात की
घटना थी ) जो स्विच ऑफ बताया फिर पापा का फ़ोन बन्द था। मुझे और कोई नंबर
याद नही था।
मैं उसे फ़ोन लौटाया और
ट्रेन रुकी थी मैं उतर गया । उसने मुझे हाथ हिलाते हुये bye बोली मैं जवाब
भी नही दे सका पता नही मुझे क्या हुआ था।
शायद
मैं उसे नही खोना चाहता था, उसका फ़ोन नंबर ही मांग लेता, वो इतनी खूबसूरत
होके मेरे जैसे साधारण के साथ इतना कैसे घुल मिल गयी। मेरे दिमाग मे इतने
सवाल थे कि मैं सुन्न से रह गया।
ये अनुभव मेरे लिये पहली बार का था, वैसे तो मैं लोगों से काफी घुल मिल जाता हूं , लेकिन पहली बार कोई मुझसे आके घुल गई था।
अगर
मैं बुरे हालात में न होता तो ये मिलन एक प्रेम कहानी का रूप ले लेता या
बुरे हाल में नही होता तब ये लड़की मुझे भाव ही क्यों देती।
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