भगवान शिव को चुनना सबसे बेहतर होगा। ऐसे ही नहीं पार्वती जी ने कठोर तप कर के उन्हें पाया।
सबसे अलग, सबसे भोले। ना सम्मान का मोह, ना अपमान का भय।
अर्धनारीश्वर रूप में अपनी पत्नी को अपने समान मानने वाले विश्व के पहले पुरुष।
जीवन
इतना सादा कि उनको समझने के लिए प्रयास करने की भी जरूरत नहीं और उन पर ना
किसी तरह का भावनात्मक बोझ, ना कल का कोई पश्चाताप, ना भविष्य कि उहापोह।
सबको अपने समान समझने वाले, धरती पर बैठने वाले अकेले देवता।
खुले आसमान के नीचे बैठ कर प्रकृति का आनंद लेने वाले, पशुओं से भी प्रेम करने वाले।
जिसे कोई नहीं अपनाता उसे भी अपनाने वाले।
चुप रहने वाले पर जब वो बोले तो सब सुने इसे वक्ता।
दूसरों के लिए विष तक पी सकने वाले। सती के लिए यज्ञ विध्वंश करने वाले।
मन से सुंदर, सारी संपत्ति के मालिक पर सांसारिकता से दूर।
राम और कृष्ण जीवन में खुशी दे सकते है। पर जीवन को अगर कोई समझा सकता है तो वो शिव है।
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