क्या टूटा हुआ दिल फिर कभी जुड़ पाता है?


जब मुझे प्यार हुआ, तब ऐसा लगता था जैसे इससे ज्यादा खूबसूरत एहसास दुनिया में है ही नहीं। जो कि सही भी है।
तब ऐसे लगता था जैसे ये दुनिया मेरे प्यार के सामने कितनी छोटी है। मुझे लगता था कि मेरा अद्भुत प्यार, इस जहान की समझ से परे है। और मैं 'उनके' साथ किसी दूसरे ग्रह पर जाकर बसने की बात भी सोचा करती थी। क्यूंकि उफ्फ्फ, ये दुनिया कितनी छोटी है!
आज जब कभी भी मुझे चोट लगती है, तब ऐसा लगता है जैसे मैं कभी भी उस चोट के दर्द से उबर नहीं पाऊँगी। मेरी अस्त-व्यस्त दुनिया कभी भी पहले जैसे 'नार्मल' नहीं हो पायेगी।
जब मैं बहुत ज्यादा खा लेती हूँ, इतना ज्यादा कि ऐसा लगने लगता है कि पेट बस फटने ही वाला है। तब उस पल, मैं निश्चय करती हूँ कि अब से कभी भी इतना ज्यादा नही खाऊँगी। खाना तो क्या, अब मैं सिर्फ हवा खाकर जियूंगी।
लेकिन मेरा वो प्यार छोटा पड़ गया।
वो अद्वितीय चोट भी कुछ दिनों में ठीक हो गयी।
और मुझे फिर से जबरदस्त भूख भी लग गयी।
तो अभी, जब ये जहान खाली सा लग रहा है, जब ये दिल बस अभी-अभी हज़ार टुकड़ों में बिखर के चूर-चूर हुआ है, ये भी एक ना एक दिन 'जरुर' जुड़ जायेगा।
जब तक "समय देवी" अपना काम करती हैं, तब तक के लिए अरिजीत सिंह के गाने बैकग्राउंड में बजा केे, अपने दिल के टुकड़ो की महफ़िल सजा के, इस गुज़रते वक़्त के हर एक पल के साथ, अपने वज़ूद का हिस्सा बन चुके इस दर्द को धुआं होते देखिये।
इसका भी एक अलग ही मज़ा है!

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