मेरी शादी को लगभग 6 महीने हो गए हैं, अब तो ऐसे हादसों की मेरे जीवनसाथी को आदत सी हो गई होगी। (सच न समझ लें इसे :P)
हुआ यूँ कि..
हमारी
शादी सुसंगत विवाह (arranged marriage ) है। शादी से पहले मैं अपने
‘आयुर्वेदिक मेडिसिन’ के internship period में थी। शादी की तैयारियों के
लिए मुझे बिल्कुल भी समय नही मिला, यहाँ तक कि मैं अच्छी तरह से खाना बनाना
भी नही सीख पाई। थोड़ा बहुत जो कॉलेज के दिनों में सीख पाई थी, बस वो ही
आता था। ख़ैर.. हमारी शादी के 2 दिन बाद ही मैं अपने ससुराल से अपने पति के
साथ उनके रहने के जगह आ गई। रास्ता लंबा था तो हमे ट्रेन की यात्रा से थकान
हो गई थी, मैंने अपने पति से पूछा कि वो रात के खाने में क्या खाएंगे।
उन्होंने ये जानते हुए कि मैं बहुत थक गई हूं, बहुत ही सादा खाना यानि
दाल-चावल बनाने को कहा।
मैं
थोड़ा घबराई हुई थी,दाल-चावल बनाना आता तो था लेकिन ‘उनके’लिए पहली बार
बनाना है ये सोच के ही मुझे थोड़ा डर लग रहा था, शायद इसलिए मैंने
जल्दी-जल्दी में चावल में थोड़ा ज्यादा ही पानी डाल दिया और उसे पकने के लिए
गैस चूल्हे पर रख दिया। चावल जल न जाएं इस डर से मैंने उन्हें जल्दी ही
चूल्हे से उतार दिया।उसके बाद प्रेशर कुकर खोलने पर चावल मुझे ऐसे मिले..
शायद पानी और चावल भी अभी एक दूसरे से अच्छी तरह घुल-मिल नही पाए थे। :P
मेरी
आंखों में तो आंसू आ गए, पहले ऐसा कभी नही हुआ था मेरे साथ। मेरे ‘उनको’
को भूख भी लगने लगी थी। मैंने थोड़ी हिम्मत जुटाई और फिर से चावल बनने के
लिए प्रेशर कुकर में रख दिया। इस बार मैं थोड़ी चौकन्नी थी, चावल को अच्छे
से पकाया। लेकिन..! इस बार भी कुछ गड़बड़ी हो ही गई। चावल कुछ ज्यादा ही पक
गए थे.. गीले हो गए थे।
मै
तो ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी। ‘वो’ दौड़ कर आये.., किचन में इतने तरह के चावलों
के बीच मुझे बैठा देख अपनी हंसी को रोक नही सके। मैं तो शर्म से लाल और
आँसुओ से गीली हो रही थी।
उन्होंने मुझे प्यार से चुप कराया और बोले .. “कहीं बाहर खाना खाने चलें?”
बस .. वो ऐसा आखिरी दिन था, अब उन्हें मेरे बनाये दाल-चावल बहुत पसंद हैं।
सधन्यवाद।
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