आपका सवाल एकदम सही है बहुत से लोगो जो राजस्थान कम घूमे है उनके मन में ये सवाल आना लाजमी है।
राजस्थान में अधिकतर किले और दुर्ग पहाड़ो पर बने हुए है जो की सुरक्षा की दृष्टि से बनाये जाते थे। लेकिन अधिकतर किले और दुर्ग बहुत ज्यादा क्षेत्रफल में फैले पहाड़ो या पठारों पर बने हुए है। उन लम्बे चौड़े पहाड़ो पर बारिश का पानी गिरता है और अंदर पत्थर की परत होने के कारण पानी भू तल में गहराई तक नहीं जा पाता है जिसको पुराने समय में लोग बावड़ी या छोटे कुंडो के माध्यम से फिर से प्राप्त कर लेते थे।
बहुत से दुर्ग जो की बहुत विस्तृत क्षेत्रफल में फैले है उनके अंदर तो तालाब बनाकर वर्षा के जल को संरक्षित किया जाता था जो की किले में रहने वाले लोगो और सेनाओ के लिए वर्ष भर पर्याप्त था।
उदाहरण के तौर पर चित्तौड़गढ़ दुर्ग, कुम्भलगढ़ दुर्ग ऐसे दुर्ग है जिनमे विशाल जलाशयों के साथ बहुत से कुंड, बावड़ी अभी भी बनी हुई है जो आज भी वर्षा जल का संचय कर लोगो को जल की पूर्ति करवाते है , आपको जानकर हैरानी होगी की चित्तौड़गढ़ दुर्ग और कुम्भलगढ़ दुर्ग इतने विस्तृत फैले है की उनमे खेती भी दुर्ग के अंदर ही की जाती थी।
अन्य दुर्गो में भी जलाशय उपलब्ध है लेकिन अकाल के समय या पानी सुख जाने के समय लोग ऊंट या बेलो की मदद से निचे से ऊपर किलो में पानी ले जाया करते थे।
धन्यवाद राजस्थान से जुडी अन्य जानकारी के लिए हमसे जुड़े रहे।
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