भारत में इस्लाम के आगमन के पूर्व हिन्दू धर्म के अलावा जैन, बौद्ध धर्म के लोग भी बड़ी संख्या में रहते थे | इसलिए हर एक मुस्लिम पहले हिन्दू था कहना अतिश्योक्ति होगा | जैसे की अफ़ग़ानिस्तान के आज के मुस्लिम अधिकतर बौद्ध धर्म के अनुयायी थे |
अब आपके इस प्रश्न पर आते है की क्या भय से या तलवार की धार पर इस्लाम को भारत में फैलाया गया है ?
भारत में इस्लाम का सबसे पहला आगमन केरल में 7वि सदी में हुआ |तब केरल में हिन्दू शासन ही था, इस्लामिक राज भारत में कहीं पर भी स्थापित नहीं हुआ था | तब अरब व्यापारियों ने केरल में एक मस्जिद का निर्माण किया | उस वक्त अरब व्यापारी भारत की महिलाओं को खरीद कर उनसे विवाह कर लेते थे , और धीरे धीरे उनका मुस्लिम वंश बढ़ने लगा |उनके प्रभाव से केरल के दुसरे लोग भी इस्लाम स्वीकार करने लगे , और उन्हें माप्पीला मुस्लिम कहा जाने लगा |
यहाँ एक बात समझना बेहद आवश्यक है की उस वक्त मनु संहिता का बोल बाला था और भारत में जाती प्रथा चरम पर थी , शूद्रों को जानवर समझा जाता था | इस्लाम के प्रचारकों का सबसे बड़ा तर्क यही रहता था की अल्लाह ने सभी इंसानों को एक बनाया है | इससे इस्लाम की तरफ दबे कुचले लोग बढ़ते चले गए | और धीरे धीरे केरल में मुस्लिमों की आबादी बढती चली गयी |
तो प्रारंभिक चरण में भारत में इस्लाम के प्रसार का सबसे बड़ा कारण था जातिवाद !
अगला चरण शुरू होता है भारत में मुस्लिम आक्रमण का | मुस्लिम आक्रमण के दौरान बड़ी संख्या में सैनिक जो मुस्लिम धर्म के अनुयायी थे भारत में आकर बस गए, और वे लोग भारतीय महिलाओं से विवाह करने लगे | इस चरण में बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी भी रोजगार की तलाश में भारत में आकर बसने लगी |
भारत में इस्लाम के प्रसार का तीसरा चरण था सूफीवाद और पीर बाबा | कई सारे मुस्लिम संत जो काफी अच्छे वक्ता थे, और चमत्कार करने का दावा करते थे, उनके तथाकथित चमत्कारों से प्रभावित होकर बड़ी संख्या में भारतियों ने इस्लाम कुबूल किया | इसमें जाती प्रथा का भी बड़ा योगदान था |
चौथा चरण था जजिया और मुस्लिम शासकों द्वारा लगाये जाने वाले कर | चूँकि मुस्लिमों को लगान और दुसरे कर देने में रियायतें थी, इसलिए कर्ज से डूबे कृषकगण अपने पेट को पालने इस्लाम कुबूल कर लिए |
पांचवे चरण में कुछ मुस्लिम शासकों द्वारा बलपूर्वक राजनैतिक कारणों से लोगों को इस्लाम कुबूल करने बाध्य किया , लेकिन ऐसा बहुत कम हुआ है , क्यूंकि बलपूर्वक किसी को इस्लाम कुबूल करवाना इस्लाम में हराम बताया गया था, और जब भी मुस्लिम शासकों ने ऐसा प्रयास किया तो उनका विरोध खुद मुस्लिम धर्म गुरु तबके ने किया |
तो इस तरह भारत में लोगों ने इस्लाम मुख्यतः जातिवाद के विरोध में कुबूला, दुसरे क्रम पर सूफी और पीर संतों के प्रभाव में, और तीसरे क्रम में आर्थिक कारणों से अपनाया |
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