शहनाज़ लालारुख खान और शाहरुख़ खान ने अपने माँ-बाप को बहुत छोटी उम्र में खो दिया था
शहनाज़
शाहरुख़ से 6 साल बड़ी है और अपने माता पिता के देहांत के बाद से वह अवसाद
से ग्रसित हो गयी थी और वह दुनियादारी से दूर एकांत में रहना पसंद करती है
पिता की मौत और उसके बाद बहन के अवसाद के कारण शाहरुख़ के कंधो पर सारी जिम्मेदारी आ गयी
वो रात जब उसकी जिंदगी बदल गयी
शहनाज़
खान अपने पिता का मृत शरीर देखकर बेहोश हो गयी थी इस घटना ने उस पर बहुत
बुरा असर डाला और वह बार बार बीमार पड़ने लगी और वह अवसाद में चली गयी यह
बाते शाहरुख़ ने एक साक्षात्कार के दौरान बताई थी शाहरुख़ ने बताया कि उनकी
बहन ने दो साल तक अवसाद कि बीमारी से जंग लड़ी और दिल वाले दुल्हनिया ले
जाएंगे कि शूटिंग के दौरान भी उनकी बहन पर अवसाद के दौरे पड़ते थे जिसके
इलाज़ के लिए वह शहनाज़ को इलाज़ के लिए स्विट्ज़रलैंड ले गए थे, शाहरुख़ खान ने
यह भी बताया कि 'तुमको देखा तो ये जाना सनम' गाने की शूटिंग के समय उनकी
बहन का इलाज नज़दीक के अस्पताल में चल रहा था और इलाज़ के बाद शहनाज़ की तबियत
में सुधार हुआ मगर वह पूरी तरह से ठीक नहीं हो पायी
शाहरुख़
ने यह भी बताया कि वह शहनाज़ में अपने माँ-बाप की अनेक विशेषताएं देखते है
और वह इस बात का जिक्र अपनी बहन से करते रहते है शाहरुख़ बताते है कि उनकी
बहन पहले बहुत हंसमुख थी मगर माँ-बाप की मौत के बाद वह बहुत शांत और
अल्पभाषी हो गयी है
शहनाज़ अब लगभग ना के बराबर सार्वजानिक तौर पर उपस्थित होती है उनको एक बार IPL में KKR के मैच के दौरान और रक्षाबंधन पर देखा गया था
मगर शाहरुख़ खान की चचेरी बहन नूर जहां पाकिस्तान में खैबर-पख्तूनख्वा राज्य से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है
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