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Wednesday 27 February 2019

क्यों बेटियों से माहवारी (Periods) के बारे में बात नहीं करतीं देश की 70% मांएं ?

  Dilip Yadav       Wednesday 27 February 2019
देश दिन रात तरक्की कर रहा हैं, मगर क्या नारी समझ भी उसी रफ़्तार में हैं? शहरों में लड़कियां पढाई में अवल हैं, क्या ग्रामीण में लड़किया स्कूल भी जा रही हैं?
डॉक्टरों के मुताबिक आज भी लगभग 71 प्रतिशत [1] लड़कियों को मासिक धर्म के बारे में कुछ नहीं पता। इतना ही नहीं 70 फीसदी महिलाएं अपनी बेटियों से पीरियड्स के बारे में बात करना सही नहीं मानतीं। यही कारण है कि मैन्स्ट्रुअल साइकल के प्रति जागरूकता की कमी के चलते लड़कियों को मेंटल ट्रॉमा जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है। शर्म के कारण मेन्स्ट्रुशन से कई बार लड़कियों और महिलाओं को गंभीर समस्याएं भी झेलनी पड़ती है।
भले ही देश लगातार तरक्की कर रहा है, लड़कियां कंधे से कन्धा मिला कर चल रहीं हैं। मगर महिलाओं की असल हालत वो नहीं जो बड़े शहर में दिखती है। लड़कियां आज भी कहीं न कहीं पीछे रह रही हैं।मेरा तात्पर्य न बड़ी नौकरी नाही आज़ादी से है। मैं बात कर रहा हूँ लड़कियों की आधार जरुरत की। ज्ञान भाव की। सिर्फ ग्रामीण छेत्र की बात करूँ तो लगभग सभी लड़कियों को माहवारी का और इन दिनों को कैसे सरल बनाना है, कोई बात नहीं करता नाही जानकारी देता है। बदनामी या शर्म लिहाज़ आड़े आ जाती है।ऐसे में माँ का कर्त्तव्य बनता है की बेटी को जागरूक करे। और जब तक ये पहल माँ के तरफ नही होगी सभी प्रयास बौने साबित होंगे।
इन दिनों में खुद को स्वस्थ कैसे रखना है कुछ सुझाव लिख रहा हूँ
  • सैनिटरी नैपकिन का ही इस्तेमाल करें जिससे आपको आराम हो। सुविधा के अनुसार ब्रांड का चुनाव कर सकते हैं। आकर्षित करते विज्ञापन से दूर रहे।
  • पहले 2 दिनों में पैड को हर 3 से 4 घंटे में बदलना अनिवार्य है। इससे बदबू और कीटाणु दोनों से बचाव होगा।
  • हमेशा कोशिश करें की खून को चमड़ी के संपर्क में न आने दें।
  • विज्ञापन में तो लड़की को दौड़ते भी दिखा देते हैं, मगर मैं कहूंगा की इनदिनों में कम से कम मेहनत का काम करें। कमजोरी और थकन से दूर रह सकते हो।
  • इंडोर खेल का खेल सकते हो।मानसिक आराम अवश्य मिलता हैं
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