आप के सवाल को याद कर बचपन की याद में जाने का अवसर मिल गया ।
बहाने बाजी
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मेरा स्कूल की कॉपी कम्प्लीट नही रही , जब भी कभी कॉपी चेक हो तो मै कॉपी
घर छूट जाने का बहाना मार देता था ,चूँकि मैं शैतान बच्चों में से नही था
,कभी किसी शैतानी में शामिल नही रहता था और कभी रिजल्ट भी खराब नह रहा तो
टीचर हमेशा मेरे जाल में आ ही जाते थे , क्लॉस के बाकी बच्चो की पिटाई हो
जाती थी मैं बच जाता था ।
● कितुं इस आदत ने मेरा काफी नुकसान ही किया क्योंकि इससे मेरे अंदर सामर्थ्य की कमी आ गयी जिससे बाद के जीवन मे लड़ना पड़ा ।
भाषणबाजी
चूँकि
मैं 7 वर्ष विद्या मंदिर के स्कूल में रहा तो वहां ,आये दिन महापुरुषों की
जयंती ही मनती थी , जिसमे 4- 5 घंटे भाषण होते थे इसका फायदा तब नही समझ
आया कितुं जब कॉलेज की जिंदगी में आया तो बाकी दोस्तों में जब देश दुनिया
की जानकारी का आभाव व भाषण व लेखन की समझ की कमी देखी तो खुद को
सौभाग्यशाली माना कि बिना कुछ किये ही हमे यह सीखने को मिल गया ।
● इसका प्रमाण कोरा पर मेरे उत्तर में भी मिल ही जायेगा कुछ आदतें उम्र के साथ स्थायी हो जाती है आप उन्हें मिटा नही सकते ।
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