चुनाव के मद्देनज़र एक पुरानी तस्वीर व्हॉट्सऐप और सोशल मीडिया पर तेज़ी से शेयर की जा रही है.
"क्या आप जानते हैं कि मुसलमानों को ख़ुश करने के लिए 7 नवंबर 1966 के दिन इंदिरा गांधी ने गोवध-निषेध हेतु संसद भवन का घेराव करने वाले 5000 साधुओं-संतों को गोलियों से भुनवा दिया था. आज़ाद भारत में इतना बड़ा नृशंस हत्याकांड पहले कभी नहीं हुआ था." ये मैं नहीं कह रहा, वायरल तस्वीर में ऐसा ही लिखा था।
कुछ लोगों ने इस घटना की तुलना 1984 के सिख विरोधी दंगों से भी की है और लिखा है कि भारतीय इतिहास में 1984 का ज़िक्र किया जाता है, लेकिन 1966 की बात कोई नहीं करता.
जहां तक मेरी समझ काम करती है इन बातों को युवा पीढ़ी से जितना दूर रखा जाये भारत के विकास के लिए अच्छा होगा। ऐसे भड़काऊ चित्र दंगो को बुलावा देते हैं। खास कर तब जब चुनावी माहौल हो। कोई भी राजनैतिक दाल निजी मुनाफे के लिए दंगे भड़का सकता है। और इस काम में दोनों ही दाल को महारथ हासिल है।
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